ग्रामसभा: सशक्तिकरण या केवल औपचारिकता? लेखक: Adiwasiawaz परिचय: ग्रामसभा की शक्ति और सच्चाई ग्रामसभा का विचार भारतीय लोकतंत्र में सबसे शक्तिशाली अवधारणाओं में से एक है, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में। संविधान के अनुच्छेद 243 और पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत ग्रामसभा को स्थानीय स्वशासन का आधार माना गया है। साथ ही, PESA (पेसा) अधिनियम 1996 और वन अधिकार अधिनियम 2006 में ग्रामसभा को निर्णायक शक्ति दी गई है। लेकिन जमीनी हकीकत इससे कितनी मेल खाती है? क्या ग्रामसभा सच में सशक्त है या यह केवल एक औपचारिकता बनकर रह गई है? ग्रामसभा: कानूनी अधिकार क्या कहते हैं? 1. पंचायती राज और PESA कानून PESA कानून के तहत अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभाओं को अधिकार दिया गया है कि वे: भूमि अधिग्रहण पर निर्णय लें खनन परियोजनाओं को स्वीकृति दें या रोकें पारंपरिक ज्ञान और संस्कृति की रक्षा करें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग तय करें 2. वन अधिकार अधिनियम 2006 इस कानून के तहत ग्रामसभा को वनाधिकार मान्यता और CFR (Community Forest Rights) देने की शक्ति प्राप्त है। लेकिन कई बार य...
Adiwasiawaj ek abhiyan for social justice and tribal empowerment