Tribal Employment Crisis: आदिवासी युवाओं में रोजगार का नया संघर्ष परिचय (Introduction) भारत के लगभग 10 करोड़ से अधिक आदिवासी (Tribal) नागरिक आज भी अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जंगल, जमीन और जल पर निर्भर यह समाज आर्थिक असमानता और रोजगार की कमी का सबसे बड़ा शिकार बना हुआ है। 👉 इस ब्लॉग में हम समझेंगे — Tribal Employment Crisis क्या है? सरकार की योजनाएँ कितनी कारगर हैं? डिजिटल युग में Tribal Youth कैसे आगे बढ़ सकते हैं? और भविष्य की दिशा क्या हो सकती है? Tribal Employment Crisis क्या है? आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार (Employment) की स्थिति बेहद कमजोर है। Forest-based economy पर निर्भर समाज के पास न तो उद्योग हैं, न ही पर्याप्त शिक्षा-संस्थाएँ। 📊 ILO (International Labour Organization) की रिपोर्ट के अनुसार: भारत के ग्रामीण आदिवासी युवाओं में बेरोजगारी दर लगभग 16–18% तक पहुँच चुकी है। जंगल आधारित आजीविका की गिरती स्थिति पहले जहाँ Tribal Community जंगल से लकड़ी, फल, महुआ, तेंदूपत्ता, शहद आदि से रोजगार कमाते थे...
Adiwasiawaj ek abhiyan for social justice and tribal empowerment