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Government Sports Schemes for Adivasi Youth: Reality vs Claim (सरकारी खेल योजनाएँ और आदिवासी युवा: दावा बनाम ज़मीनी हकीकत)

Jharkhand Tribal Issues 2025: Identity, Rights, Development or Displacement? (Ground Reality Analysis)

  Jharkhand Tribal Issues 2025: Identity, Rights, Development or Displacement? (Ground Reality Analysis)  Jharkhand Tribal Issues 2025 – Adivasi Identity, Rights and Survival in the Age of Development was created with a promise — Jal, Jungle, Jameen (Water, Forest, Land) would remain with its original inhabitants. But in 2025 , the ground reality of Jharkhand’s tribal communities (Adivasi) tells a different story. This blog is a human-generated, ground-based analysis , mixing Hindi + English for global readers, focusing on tribal rights, displacement, livelihood crisis, culture, and policy gaps .  Who Are Jharkhand Tribals? (Global Context Explained) Jharkhand is home to Santhal, Munda, Oraon, Ho, Kharia, Birhor and many other indigenous communities. Globally, these communities are referred to as Indigenous Peoples , protected under international norms like UNDRIP (United Nations Declaration on the Rights of Indigenous Peoples) . आदिवासी केवल “लाभार...

ग्रामसभा: सशक्तिकरण या केवल औपचारिकता?

ग्रामसभा: सशक्तिकरण या केवल औपचारिकता? लेखक: Adiwasiawaz  परिचय: ग्रामसभा की शक्ति और सच्चाई ग्रामसभा का विचार भारतीय लोकतंत्र में सबसे शक्तिशाली अवधारणाओं में से एक है, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में। संविधान के अनुच्छेद 243 और पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत ग्रामसभा को स्थानीय स्वशासन का आधार माना गया है। साथ ही, PESA (पेसा) अधिनियम 1996 और वन अधिकार अधिनियम 2006 में ग्रामसभा को निर्णायक शक्ति दी गई है। लेकिन जमीनी हकीकत इससे कितनी मेल खाती है? क्या ग्रामसभा सच में सशक्त है या यह केवल एक औपचारिकता बनकर रह गई है? ग्रामसभा: कानूनी अधिकार क्या कहते हैं? 1. पंचायती राज और PESA कानून PESA कानून के तहत अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभाओं को अधिकार दिया गया है कि वे: भूमि अधिग्रहण पर निर्णय लें खनन परियोजनाओं को स्वीकृति दें या रोकें पारंपरिक ज्ञान और संस्कृति की रक्षा करें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग तय करें 2. वन अधिकार अधिनियम 2006 इस कानून के तहत ग्रामसभा को वनाधिकार मान्यता और CFR (Community Forest Rights) देने की शक्ति प्राप्त है। लेकिन कई बार य...

जल, जंगल जमीन खैरात नहीं हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है!

🌿 **वन अधिकार अधिनियम 2006: जंगल पर हक की ऐतिहासिक वापसी** 🌱 **"हम जंगल में जन्मे हैं, पेड़ों के बीच पले-बढ़े हैं, इन जंगलों की रक्षा हमारी सांसों में है। फिर भी हमें बेदखल कर दिया गया — लेकिन अब नहीं!"** भारत के वन क्षेत्रों में सदियों से रहने वाले **आदिवासी और पारंपरिक वनवासी समुदायों** का जीवन जंगलों पर आधारित रहा है। ये समुदाय जंगल को सिर्फ एक संसाधन नहीं, **एक जीवंत रिश्ता** मानते हैं। लेकिन विडंबना यह रही कि **औपनिवेशिक शासनकाल** से लेकर **स्वतंत्र भारत** तक, इन समुदायों को उनके ही जंगलों से बेदखल कर दिया गया। उन्हें **"अवैध अतिक्रमी"** कहा गया, जबकि असल में वे जंगलों के **पहरेदार** थे। इसी ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने के लिए 2006 में भारतीय संसद ने एक क्रांतिकारी कानून पारित किया: 🛡 **वन अधिकार अधिनियम, 2006 (Forest Rights Act - FRA)** --- 🔍 **क्या है वन अधिकार अधिनियम (FRA)?** वन अधिकार अधिनियम 2006 का उद्देश्य उन आदिवासी और वनवासी समुदायों को उनके **परंपरागत अधिकारों की कानूनी मान्यता** देना है, जो दशकों से जंगलों में रहकर जीवन यापन करते आए है...