टोंगी मंडा महोत्सव: परंपरा, आस्था और आदिवासी अस्मिता का उत्सव झारखंड की धरती पर हर साल एक ऐसा उत्सव मनाया जाता है, जो सिर्फ पर्व नहीं, बल्कि पीढ़ियों की आस्था, संस्कृति और संघर्ष की गाथा है — उसका नाम है टोंगी मंडा महोत्सव। यह महोत्सव न तो सिर्फ झूले का मेला है, और न ही कोई आम धार्मिक आयोजन। यह हमारे पूर्वजों की उस जीवंत परंपरा का प्रतीक है, जिसमें लोक-कलाएं, आस्था और आदिवासी पहचान की छाप साफ नजर आती है। 🌾 महोत्सव की आत्मा: मंडा पूजा और शिव भक्ति टोंगी मंडा महोत्सव में ‘मंडा पूजा’ का खास महत्व होता है। यह पूजा शिव भगवान को समर्पित होती है। गांव के युवा भक्त, जिन्हें ‘गोड़वा’ कहा जाता है, अपनी आस्था की पराकाष्ठा दिखाते हैं — वे लोहे के नुकीले हुक को अपनी पीठ में गड़ाकर झूले पर झूलते हैं। यह आस्था, साहस और समर्पण का एक जीता-जागता प्रदर्शन होता है। यह सिर्फ कोई बाहरी दिखावा नहीं, बल्कि एक गहरी साधना है — खुद को शिव को समर्पित करने की प्रक्रिया। यह हमें बताता है कि आज भी हमारे गांवों में भक्ति का अर्थ केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि अपनी पूरी चेतना से देवता से जुड़ना है। 🎭 नृत्य-सं...
Adiwasiawaj ek abhiyan for social justice and tribal empowerment