सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

Development लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Government Sports Schemes for Adivasi Youth: Reality vs Claim (सरकारी खेल योजनाएँ और आदिवासी युवा: दावा बनाम ज़मीनी हकीकत)

Adiwasi Palayan: Jungle se Shahron tak Jeevan ki Sangharsh Yatra

Adiwasi Palayan: Jungle se Shahron tak Jeevan ki Sangharsh Yatra 🏞️  Adiwasi Palayan – Jungle se Shahron tak Jeevan ki Sangharsh Yatra भारत के जंगलों में बसने वाले आदिवासी समाज का जीवन सदियों से प्रकृति के साथ जुड़ा रहा है। लेकिन आज एक बड़ा सवाल हमारे सामने खड़ा है — 👉 क्यों “जंगल का बेटा” अपने ही जंगल को छोड़ने को मजबूर है? This is not just migration — it’s a struggle for survival, identity, and dignity . Palayan (migration) for the Adivasi community is not merely a journey from village to city , it’s a journey from roots to uncertainty.  Palayan ka Mool Karan – Zameen, Rozgar aur Majboori 🪵   Jungle aur Zameen se alag hone ka dard जब जंगल और जमीन पर सरकारी और कॉर्पोरेट नियंत्रण बढ़ा, तो आदिवासी परिवारों को उनके पारंपरिक जीवन स्रोतों से अलग किया गया । उनकी आजीविका — लकड़ी, महुआ, साल पत्ता, और खेती — सब धीरे-धीरे छीने गए। “Jab rozi chhin jaati hai, toh pehchan bhi khatam hone lagti hai.” इसी मजबूरी में आदिवासी युवाओं ने श...

Adiwasi Rojgar ki Kahani: Ganv se Sahar Tak ka Safar

Adiwasi Rojgar ki Kahani: Ganv se Sahar Tak ka Safar  Introduction – परिचय झारखंड और भारत के अन्य हिस्सों में आदिवासी समाज का जीवन हमेशा से प्रकृति और परंपरा से जुड़ा रहा है। लेकिन बदलते समय ने उन्हें नई चुनौतियों और अवसरों से रूबरू कराया। रोजगार (Rojgar) अब सिर्फ खेतों और जंगल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि गांव से शहर तक का सफर तय करना पड़ रहा है। इस ब्लॉग में हम 9 बिंदुओं के जरिए देखेंगे कि कैसे आदिवासी युवा रोजगार, भाषा, संस्कृति और विस्थापन की चुनौतियों से गुजरते हुए नए रास्ते तलाश रहे हैं। 👉 इससे पहले के पोस्ट को ज़रूर पढ़ें: झारखंडी आदिवासी – विकास और विस्थापन झारखंड आदिवासी भाषा एवं पहचान  9 Key Points on Adivasi Rojgar Journey  1. Rojgar ke Avasar – Self Reliance ki Ore Kadam गांव के खेतों से लेकर शहर की फैक्ट्रियों तक, रोजगार की तलाश आदिवासी युवाओं को मजबूर करती है कि वे आत्मनिर्भरता के नए साधन खोजें। पारंपरिक कारीगरी और कृषि आधारित काम अब skill development और modern training से जुड़ रहे हैं।  2. Bhasha aur Cultural Ident...