जंगलों की कटाई और विस्थापन: विकास की कीमत पर विनाश? लेखक: Adiwasiawaz | तारीख: 29 जुलाई 2025 परिचय भारत के आदिवासी क्षेत्र लंबे समय से प्राकृतिक संसाधनों, विशेषकर जंगलों, पर निर्भर हैं। लेकिन बीते कुछ दशकों में जिस तरह से जंगलों की अंधाधुंध कटाई और औद्योगिक परियोजनाओं के नाम पर विस्थापन हुआ है, वह केवल पर्यावरणीय संकट नहीं बल्कि मानवीय अधिकारों का उल्लंघन भी है। जंगलों की कटाई: कारण और आंकड़े जंगलों की कटाई का प्रमुख कारण है - खनन परियोजनाएं, जल विद्युत परियोजनाएं, रेलवे, सड़क और उद्योगों का विस्तार। FAO (2020) की रिपोर्ट के अनुसार भारत हर वर्ष लगभग 1.5 मिलियन हेक्टेयर जंगल खोता है। इसमें से अधिकतर क्षेत्र आदिवासी जिलों में आता है। प्रमुख कारण: खनिज दोहन के लिए भूमि अधिग्रहण बिना ग्रामसभा अनुमति के वन क्षेत्र का हस्तांतरण सरकारी योजनाओं में वन अधिकार अधिनियम की अनदेखी वन विभाग की नीतियाँ जो समुदायों को बाहर करती हैं विस्थापन: एक त्रासदी जब जंगल कटते हैं, तो वहां रहने वाले आदिवासियों को उनकी भूमि से बेदखल कर दिया जाता है। य...
Adiwasiawaj ek abhiyan for social justice and tribal empowerment