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Government Sports Schemes for Adivasi Youth: Reality vs Claim (सरकारी खेल योजनाएँ और आदिवासी युवा: दावा बनाम ज़मीनी हकीकत)

Real Estate Expansion और आदिवासी विस्थापन: जड़ों से उजड़ता समाज

 Real Estate Expansion और आदिवासी विस्थापन: जड़ों से उजड़ता समाज भारत के विकास मॉडल में रियल एस्टेट को तरक्की का प्रतीक माना गया है, लेकिन इसके उलट आदिवासी इलाक़ों में तेजी से बढ़ते प्रोजेक्ट आज जंगल–जमीन–पहचान को सबसे बड़ा खतरा बना चुके हैं। आदिवासी समाज की जड़ें उस मिट्टी से जुड़ी हैं जिसमें उनका इतिहास, संस्कृति, भाषा और जीवन-पद्धति बसती है। लेकिन जैसे-जैसे शहर फैलते गए, सड़कें बढ़ीं, औद्योगिक कॉरिडोर बने और रियल एस्टेट की माँग बढ़ती गई, वैसे-वैसे आदिवासी परिवारों को अपनी सदियों पुरानी भूमि से बेदखली का सामना करना पड़ा।  आदिवासी भूमि पर रियल एस्टेट की नज़र क्यों बढ़ रही है? Real Estate Investors और Developers आज सबसे तेज़ी से tribal belts की ओर आकर्षित हो रहे हैं। कारण स्पष्ट हैं— 1. सस्ती जमीन 2. कानूनी जागरूकता की कमी 3. प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता 4. मैगाप्रोजेक्ट्स का फैलाव 5. Mining zones और Forest Land की आर्थिक कीमत यही स्थिति आगे चलकर बड़े पैमाने पर displacement , आजीविका का नुकसान और सामाजिक-सांस्कृतिक टूटन का कारण बनती है। 👉 झारखंड ...

Adivasi Life Stories: जंगल, संघर्ष और पहचान का असली सफर |

Adivasi Life Stories: जंगल, संघर्ष और पहचान का असली सफर | Adiwasiawaz Introduction: ये कहानियाँ सिर्फ यादें नहीं—एक जिंदा संघर्ष हैं Adivasi Life Stories हर गांव के चौपाल में सुनाई देती हैं। ये कहानियाँ बताती हैं कि कैसे जंगल और जमीन से जुड़ी हुई पहचान को बचाए रखा जाए। आज के digital जमाने में जब “life” keyword पर ads और traffic बहता है, सही कंटेंट बनाना जरूरी है—जिससे awareness भी बढ़े और local communities को फायदा भी मिले। 1) Jungle: Adivasi life का पहला और सबसे बड़ा resource Jungle सिर्फ resource नहीं; यह livelihood, medicine और cultural identity का source है। Mahua, Saal, Lac, Tendu, medicinal herbs—इनसे कई परिवार की income बनती है। जब jungle घटता है, तो immediate impact आना शुरू होता है—food security पर असर, seasonal migration और cultural loss। जंगल पर दबाव और land-grab की बड़ी केस स्टडी पढ़ने के लिए देखें: Assam Land . 2) Zameen: बेसिक security—paper पर नहीं, जन-मानस में अधिकतर आदिवासी समाजों में जमीन inheritance के रूप में चलती है। Land loss का मतलब सिर्फ economic ...

Rehabilitation और Development Model: अधिकार, संघर्ष और भविष्य की लड़ाई

 Adiwasi Rehabilitation और Development: सवाल विकास का या अस्तित्व का? भारत में विकास के नाम पर जितने पुल, Dam, Power Plant, Coal Mining, Highway और Industry बने हैं — उनमें सबसे ज्यादा कीमत Adiwasi समुदाय ने चुकाई है। Government records के अनुसार लाखों Adiwasi displacement झेल चुके हैं लेकिन rehabilitation (पुनर्वास) का सच अभी भी incomplete, corrupt और unequal है। Rehabilitation सिर्फ जमीन देने का सवाल नहीं — यह livelihood, identity, language, culture और Forest-based existence का सवाल है। 👉 Exactly यही बात समझने के लिए यह लेख लिखा गया है — बिना झुकाव, बिना डरे, ground reality + research + human pain के साथ। Displacement: Adiwasi के लिए सिर्फ घर नहीं, पूरी दुनिया उजड़ जाती है जब किसी non-tribal के लिए घर बदलना logistics और transport का मामला होता है — वहीं आदिवासी के लिए displacement = संस्कृति, अपनापन, जंगल की economics और ancestors की memory का अंत। Palayan और migration को समझने के लिए यह लेख पढ़ा जा सकता है: 👉 Adiwasi Palayan: Jungle Se Shahron Tak R...

Adivasi Exploitation: विकास के नाम पर Shoshan, संघर्ष और समाधान

Adivasi Exploitation: विकास के नाम पर Shoshan, संघर्ष और समाधान  India में Adivasi community को सबसे ancient, indigenous और ecological civilization माना जाता है. They are the real protectors of Jal-Jungle-Jameen , forest biodiversity and natural resources. Ironically, जिनके पास सबसे ज्यादा resources हैं—coal, bauxite, uranium, limestone, water—सबसे ज्यादा exploitation भी उन्हीं के साथ होता है. आज Adivasi communities development के नाम पर displacement, mining, police repression, land grabbing, legal injustice और cultural genocide जैसे दर्दनाक संकटों का सामना कर रही हैं. Exploitation sirf आर्थिक नहीं—बल्कि psychological, cultural और constitutional level पर भी है. इस blog में हम इस exploitation को 4 Key Points Analysis में समझेंगे और साथ में संघर्ष व समाधान पर चर्चा करेंगे. 1 Development Projects & Mining Corporations: सबसे बड़ा Exploitation Engine Adivasi regions जैसे Jharkhand, Chhattisgarh, Odisha, Telangana, Maharashtra, MP, राजस्थान आदि भारत की सबसे rich ...

Right to Land: आदिवासियों का सबसे बड़ा हक़ और सबसे बड़ा संघर्ष

📚 पुस्तक प्रेमियों के लिए खास! 👉 “Tribal Movements in Jharkhand (1857–2007)” झारखंड के आदिवासी आंदोलनों, संघर्षों और पहचान की गहराई को जानिए इस अद्भुत किताब में। 🪶 इतिहास, संस्कृति और संघर्ष – सब एक ही जगह! 📖 अभी ऑर्डर करें 👉 https://amzn.to/4odyApb Right to Land: आदिवासियों का सबसे बड़ा हक़ और सबसे बड़ा संघर्ष Introduction | परिचय For every tribal community, land is not just property — it’s identity, culture, and survival. हर आदिवासी के लिए ज़मीन केवल खेत या संपत्ति नहीं है — यह जीवन, संस्कृति और अस्तित्व की जड़ है। भारत में “Right to Land” केवल कानूनी विषय नहीं बल्कि अस्तित्व की कहानी है। आदिवासी समाज का संघर्ष हमें बताता है कि अधिकार पाने के लिए संविधान और समाज दोनों को समझना ज़रूरी है। 1) Land and Identity: ज़मीन ही आदिवासी की पहचान In tribal regions like Jharkhand, Chhattisgarh, Odisha, and Madhya Pradesh , land connects people to their roots. यह वही मिट्टी है जहाँ से परंपरा, गीत, नृत्य और संस्कृति की धारा बहती है। Wit...

Tribal Land Rights and Constitution — आदिवासी भूमि अधिकार और संघर्ष

ऑर्डर कीजिए https://amzn.to/41QlsNQ Tribal Land Rights and Constitution — आदिवासी भूमि अधिकार और संघर्ष प्रस्तावना भारत में आदिवासी समुदायों की भूमि और संसाधनों का अधिकार सिर्फ सामाजिक न्याय नहीं, बल्कि संवैधानिक प्रतिबद्धता भी है। PESA कानून (“Panchayats (Extension to Scheduled Areas) Act, 1996”) ने अदिवासियों को उनके पारंपरिक क्षेत्र और सामाजिक संरचना में स्वशासन का अधिकार देने का मार्ग प्रशस्त किया है। इसकी विवेचना और प्रभाव को समझने के लिए देखिए हमारी ब्लॉग   इस ब्लॉग पोस्ट में हम "Tribal Land Rights and Constitution — आदिवासी भूमि अधिकार और संघर्ष" शीर्षक के अंतर्गत निम्नलिखित विषयों पर चर्चा करेंगे: संविधान में आदिवासियों की भूमि अधिकार की स्थापना PESA कानून की भूमिका और सीमाएँ वास्तविक संघर्ष, न्याय और आज की चुनौतियाँ (विशेषकर झारखंड जैसे राज्यों में) ग्लोबली मानव-केंद्रित दृष्टिकोण से आदिवासी भूमि अधिकार की वैश्विक प्रासंगिकता 1. संविधान और Scheduled Areas की संकल्पना 1.1 Scheduled Areas और Fifth Schedule भारतीय संवि...

"झारखंड में विकास की कीमत आदिवासी क्यों चुकाएं ?"

झारखंडी आदिवासी और विकास के नाम पर हो रहा विस्थापन: एक कटु सच्चाई "जहाँ आदिवासी कभी जंगल के राजा थे, वहीं आज वे विकास के नाम पर अपने ही घर से बेदखल किए जा रहे हैं।" झारखंड की पहचान उसके घने जंगलों, उपजाऊ धरती और समृद्ध आदिवासी जीवनशैली से है। लेकिन बीते कुछ दशकों में यहाँ की असली पहचान — आदिवासी और उनकी ज़मीन — दोनों ही विकास के नाम पर निशाना बन गए हैं। 🌿 आदिवासियों का विकास मॉडल से टकराव क्यों? झारखंड में जैसे ही कोई खनिज भंडार, जल परियोजना या उद्योग प्रस्तावित होता है, वहाँ के आदिवासियों के लिए खतरे की घंटी बज जाती है। सरकार और कंपनियाँ इसे विकास कहती हैं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि: गाँवों को उजाड़ा जाता है लोगों को ज़मीन से बेदखल किया जाता है पुनर्वास व मुआवजा अधूरा या धोखाधड़ीपूर्ण होता है संस्कृति, भाषा और जीवनशैली को भारी नुकसान पहुँचता है 🏹 क्या कहता है संविधान और कानून? पांचवीं अनुसूची और PESA कानून : आदिवासी क्षेत्रों में ग्रामसभा की अनुमति के बिना ज़मीन नहीं ली जा सकती। FRA 2006 : वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों को...