धरती आबा की धरती पर उमंग और उत्सव: झारखंड का मुड़मा मेला मुड़मा मेला: झारखंड की आदिवासी संस्कृति का जीवंत उत्सव झारखंड की धरती केवल खनिजों से नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और लोकआस्था से भी समृद्ध है। इन्हीं परंपराओं में एक है — मुड़मा मेला (Mudma Mela) , जिसे झारखंड के विभिन्न जिलों में आदिवासी समुदाय पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। यह मेला धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति से भी गहराई से जुड़ा है और हर साल हजारों ग्रामीण, कलाकार, नर्तक और परंपरागत गायक इस उत्सव में शामिल होते हैं। मुड़मा मेले का इतिहास — परंपरा और पहचान की कहानी Muḍma Mela की शुरुआत झारखंड के मुंडा समुदाय से हुई, जो प्रकृति, भूमि और समुदाय के साथ अपने गहरे संबंध के लिए जाने जाते हैं। ऐतिहासिक रूप से यह मेला फसल कटाई और सामाजिक मिलन का प्रतीक रहा है। पुराने समय में जब गाँवों में खेती पूरी हो जाती थी, तब लोग एक साथ इकट्ठा होकर नृत्य, गीत, खेल और बाजार के माध्यम से अपनी खुशियाँ साझा करते थे। 👉 Historical touch: कहा जाता है कि यह मेला चक्रधरपुर , खूँटी , राँ...
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