🌿 "आदिवासी समाज: प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व का जीवंत उदाहरण **"जहाँ शहरों में पेड़ों को दुश्मन समझा जाता है, वहाँ आदिवासी समाज हर पेड़ को देवता मानता है।"** आदिवासी समाज केवल एक समुदाय नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है — जो प्रकृति के हर कण से जुड़ी है। जल, जंगल और ज़मीन को पूजने वाले ये लोग, विकास की दौड़ में पीछे नहीं हैं, बल्कि असली टिकाऊ विकास का रास्ता दिखा रहे हैं। इनकी परंपराएँ, गीत, नृत्य और रीति-रिवाज आज भी हमें सामूहिकता, श्रम का सम्मान और धरती माता के प्रति कर्तव्य सिखाते हैं। जब पूरी दुनिया "क्लाइमेट चेंज" से जूझ रही है, तब आदिवासी समाज प्रकृति की रक्षा का सबसे मजबूत प्रहरी बन कर खड़ा है। "आदिवासी संस्कृति: जड़ों से जुड़ाव की ताकत"** **"जिसके पास जड़ें मजबूत होती हैं, वही हर तूफ़ान में खड़ा रह सकता है।"** आदिवासी संस्कृति वह नींव है, जो हमें अपनी अस्मिता की पहचान कराती है। पारंपरिक पहनावे, लोकगीत, त्योहार, और ग्रामसभा जैसे लोकतांत्रिक ढांचे इस समाज को जीवंत बनाए रखते हैं। आज जब आधुनिकता की चकाचौंध में लोग अपनी पहचान खो रहे हैं, आदिवास...
Adiwasiawaj ek abhiyan for social justice and tribal empowerment