गाँव की पहली बारिश: उम्मीदों की हरियाली में भीगता जीवन 🌧️🌱
गर्मियों की तपती दोपहरी और धूल से भरे रास्तों के बीच जब आसमान पर काले बादल छाते हैं, तो गाँव के हर कोने में एक अलग ही उत्साह दौड़ जाता है। और जैसे ही पहली बूँदें ज़मीन को छूती हैं, वैसे ही मिट्टी से उठती भीनी-भीनी सोंधी खुशबू मन को सुकून देने लगती है। यही है गाँव की पहली बारिश — सिर्फ पानी नहीं, बल्कि जीवन की ताज़गी और उम्मीद की दस्तक।
किसान की मुस्कान में छिपी हरियाली
गाँव के किसान के लिए पहली बारिश किसी त्यौहार से कम नहीं होती। महीनों की प्रतीक्षा, खेत की तैयारी, बीजों का चुनाव – सब कुछ इस एक पल के लिए किया जाता है। जैसे ही बारिश की पहली बूँदें खेत की मिट्टी को भिगोती हैं, किसान अपने हल-बैल या अब ट्रैक्टर लेकर खेत की ओर दौड़ पड़ता है। उसके चेहरे की मुस्कान सिर्फ पानी की नहीं, बल्कि भविष्य की फसल की आशा की होती है। जिधर देखो, हर तरफ हरियाली की कल्पना में डूबा गाँव दिखाई देता है।
बच्चों और पशु-पक्षियों की भी खुशी
बारिश सिर्फ खेतों को नहीं भिगोती, वह गाँव के बच्चों की खुशियों को भी नहला देती है। नंगे पाँव गलियों में दौड़ते बच्चे, कीचड़ में खेलना, बारिश के पानी में नाव बहाना – ये सब दृश्य मन को बचपन की मीठी यादों में ले जाते हैं। वहीं, पशु-पक्षी भी जैसे नई ऊर्जा से भर उठते हैं। मवेशी खुले में घूमने लगते हैं, बगुले खेतों में चहलकदमी करते हैं और मोर नाचने लगते हैं।
प्रकृति की पूजा का समय
गाँव में पहली बारिश सिर्फ मौसम का बदलाव नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ जुड़ने का समय होता है। लोग आकाश की ओर देखकर कहते हैं – "इंद्र देव कृपा बरसा रहे हैं।" गाँव की महिलाएँ तुलसी चौरा को धोकर दीया जलाती हैं, और पुराने अनुभवों के साथ नई कहानियाँ जन्म लेती हैं।
अंत में…
गाँव की पहली बारिश एक नई शुरुआत का प्रतीक है। यह सिर्फ जल नहीं, जीवन का संचार है – खेतों में, दिलों में और समाज में। यह हमें प्रकृति से जुड़ने की प्रेरणा देती है और बताती है कि उम्मीदें कभी नहीं सूखतीं, बस एक बूँद की ज़रूरत होती है।
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