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Government Sports Schemes for Adivasi Youth: Reality vs Claim (सरकारी खेल योजनाएँ और आदिवासी युवा: दावा बनाम ज़मीनी हकीकत)

Sohrai Kisku: Adivasi Leader, Jharkhand Movement Warrior and Defender of Jal-Jungle-Jameen




Sohrai Kisku: Adivasi Leader, Jharkhand Movement Warrior and Defender of Jal-Jungle-Jameen



Sohrai Kisku: Symbol of Jharkhand’s Struggle

झारखंड आंदोलन राजनीतिक मांग से कहीं अधिक था—यह आदिवासी अस्मिता, जल-जंगल-जमीन और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा का संघर्ष था। इसी आंदोलन में उभरता है एक प्रेरक नाम—आदिवासी नेता सोहराय किस्कू, जिन्होंने गांव-गांव में संगठन बनाकर लोगों को अधिकारों के लिए तैयार किया। संघर्ष की इसी भावना को गहराई से समझने के लिए यह लिंक पढ़ें: Jharkhand Adivasi Freedom Fighters

Role of Sohrai Kisku in the Jharkhand Movement

सोहराय किस्कू ने हमेशा दबी आवाज़ों को एक मंच दिया। उन्होंने युवाओं को जागरूक किया, ग्रामसभा की मजबूती पर जोर दिया और आदिवासी आंदोलन की नींव को गहरा बनाया। जल-जंगल-जमीन पर बढ़ते संकट को देखते हुए उन्होंने लोगों को संगठित कर व्यापक अभियान चलाए। इसी ऐतिहासिक संदर्भ को और समझने के लिए यह लेख उपयोगी है: Roots of Rebellion – Tribal Freedom Fighters

Honoured by Hazaribagh Magistrate

15 नवंबर—बिरसा मुंडा जयंती और झारखंड स्थापना दिवस। इसी अवसर पर हजारीबाग मजिस्ट्रेट द्वारा सोहराय किस्कू को “झारखंड आंदोलनकारी सम्मान प्रमाणपत्र” प्रदान किया गया। यह पुरस्कार उनके दीर्घकालिक संघर्ष और समाज सेवा की आधिकारिक मान्यता है। इस भावना से जुड़ा एक और सशक्त लेख यहाँ देखें: Seeds of Resistance – Rural Tribal Warriors

Struggle for Jal-Jungle-Jameen

आदिवासी जीवन की नींव जल-जंगल-जमीन पर आधारित है। सोहराय किस्कू ने इन संसाधनों पर बढ़ते खतरे को पहचानते हुए लगातार संघर्ष किया। उनका मिशन था: FRA की जानकारी, ग्रामसभा की शक्ति, विस्थापन विरोधी आंदोलन, खनन विरोधी जनसंघर्ष और आदिवासी भूमि के संवैधानिक सुरक्षा उपाय। इस संघर्ष की पृष्ठभूमि को समझने के लिए यह लिंक पढ़ें: Adivasi Kranti & Quit India Movement

Cultural Revival and Youth Mobilisation

सोहराय किस्कू ने सांस्कृतिक पहचान को आदिवासी आंदोलन की रीढ़ माना। वे कहते थे—“पहचान बचाओगे, तभी जमीन बचाओगे।” उन्होंने करम, सरहुल, सोहराय, हूल दिवस और बिरसा जन्मोत्सव जैसे सांस्कृतिक पर्वों के माध्यम से युवा पीढ़ी में गौरव और चेतना जगाई। इसी सांस्कृतिक संघर्ष को समझने के लिए यह लेख पढ़ें: Seeds of Resistance – Tribal Uprising

Why His Leadership Still Matters

1. जल-जंगल-जमीन के लिए अटूट संघर्ष: उनका जीवन बताता है कि अधिकार संघर्ष से मिलते हैं।
2. जनता के बीच से नेतृत्व: उन्होंने गांव-गांव में जनसंगठन और जनसुनवाई की परंपरा मजबूत की।
3. संविधानिक अधिकारों की जानकारी: FRA, PESA और ग्रामसभा की शक्ति को गाँव तक पहुँचाया।

A Leader Who Lives Among the People

सोहराय किस्कू ने विस्थापित परिवारों की लड़ाई, खनन विरोधी अभियानों, भूमि सुरक्षा आंदोलन और युवा जागरूकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें कई गांव “जननायक” और “आंदोलनकारी” के रूप में सम्मान देते हैं।

Conclusion

सोहराय किस्कू की यात्रा केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि एक आंदोलन की कहानी है। हजारीबाग में मिला “झारखंड आंदोलनकारी सम्मान प्रमाणपत्र” उनके अथक संघर्ष का प्रमाण है। उनका जीवन हमें सिखाता है—पहचान, अधिकार और जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए एकजुट रहना होगा।

Call to Action

👉 पूरा लेख पढ़ें: Jharkhand Adivasi Freedom Fighters
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